Friday 17 June 2016

मंदिर में प्रवचन- कहानी



" अरे , बहनजी क्या बताऊँ ...राम जी झूठ न बुलवाएं मैंने मिसिज़ श्रीवास्तव जी की लड़की को एक लड़के के साथ मोटर साईकिल पर चिपक के बैठ के जाते हुए देखा , मुझे खुद इतनी शर्म आ गई उसको देख के ऐसे चिपक के बैठी हुई थी " मिसेज शर्मा ने मुंह बनाते हुए कहा ।
" आप बिलकुल सही कह रहीं है बहन जी , मैंने भी उसे कई बार लड़को से हँस के बात करते हुए देखा है ... और कपडे देखो कितने छोटे पहनती है . मुझे खुद शर्म आ जाती है उसे देख के मैं तो अपनी लड़की को उससे दूर ही रखती हूँ  " मिसेज कुलकर्णी ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा ।
"अरे ये सब छोड़िये आप दोनों ,आप दोनों ने सुना नहीं मिसेज जोशी जी बहु ने मिसेज जोशी के साथ क्या किया "- अब धमाका करने की बारी मिसेज अग्रवाल की थी
" क्या किया मिसेज जोशी की बहु ने " मिसेज शर्मा और मिसेज कुलकर्णी ने एक स्वर में पूछा
" राम राम , मत पूछो बेचारी मिसेज जोशी को बुढापे में  यह दिन भी देखने को मिले , कल उनकी बहु ने उनसे बर्तन धुलवा लिए " मिसेज अग्रवाल ने दुख भरे लहजे में कहा ।
" राम ... राम ... बेचारी ने सोचा था की बहु आएगी तो उनकी सेवा करेगी  बुढ़ापा अच्छा कटेगा ..बेचारी मिसेज जोशी की तो किस्मत ही ख़राब है " मिसेज शर्मा ने ठंढी आह भरते हुए कहा ।

तभी मिसेज कुलकर्णी ने कहा " वो देखो , आ गई महारानी , कितना मेकअप थोपा है मुंह पर "

ये आने वाली 'महारानी ' मिसेज गुप्ता थीं

" जेवर तो ऐसे लादी रहती है जैसे शादी में जा रही हो ...उँह " पास बैठी अब तक चुप रही मिसेज तिवारी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।
" कमीनी जेवर तो सबको दिखाने के लिए पहनती है , दिखावा करती है दिखावा... मैं तो कंहू की कोई लूट ले इसको तब पता चलेगा इसको " मिसेज शर्मा ने घूरते हुए कहा ।
" बेशक जेवर कितना ही पहन ले , पर रहेगी भिखारन की भिखारन ही ..... देखा नहीं परसो जब प्रशाद बांटने की बारी इसकी आई तो कैसे बासी लड्डू ले आई थी ... जेवर पहनने से औकात थोड़े न किसी की बदलती है " मिसेज कुलकर्णी ने मुंह बिचकाते हुए बात आगे बढ़ाई ।

" हाँ, पति  देखो इसका कितना काला और गंजा सा है और ये कैसे बन- ठन के रहती है ...... मुझे तो लगता है की हो न हो इसका चक्कर किसी और से चल रहा है " मिसेज शर्मा ने अपनी आशंका जाहिर की ।

"अच्छा मिसेज शर्मा ... आपकी बहू के क्या हाल है ?" मिसेज तिवारी ने विषय बदलते हुए पूछा ।
"अरे मत पूछो बहन ,एक नंबर की कामचोर औरत है ... मेरे बेटे को तो पूरा अपने वश में किया हुआ है " मिसेज शर्मा ने बेरुखी से कहा ।

मिसेज शर्मा अभी अपने दिल का हाल और सुनाने वाली हीं थी की मंदिर में कथा करने वाली  मंडली के मुखिया महंत ने आवाज लगाई -
' तो माताओं और बहनो आज की भागवत कथा का यंही समापन होता है ....जो यह कथा  ध्यान और श्रद्धा पूर्वक सुनता है भगवान् कृष्ण उनका जीवन सफल कर देते हैं ।

सभी महिलाओं का ध्यान महंत की तरफ गया और  वे महंत जी के पीछे पीछे ऊँचे स्वर में दोहराने लगीं।

बोलो बांके बिहारी की ...
सभी ने एक स्वर में कहा
जय
बोलो गौ -गंगा माता की ...
जय
प्राणियो में....
सद्भावना रहे
बांके बिहारी के भक्त ...
प्रेम से रहें

इस प्रकार जयकारो से मंदिर गूंज उठा ,उसके बाद महंत ने अपने चेले को इशारा किया और वह आरती की थाली सबको घुमाने लगा ....

-संजय (केशव)

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