Thursday 17 November 2016

आखरी सिगरेट-कहानी

"खों....खों... खों..आह!"
बुरी तरह खांसते हुए उसकी आँख खुल गई ,खांसी इतनी भयंकर थी की उसे लगा अभी  कलेजा बाहर आ जायेगा । खांसते खांसते आँखों से पानी बहने लगा ,मुंह से बहुत सा थूक निकल के होठो के कोनो से टपकने लगा।

बहुत समय तक यूँ ही खाँसने के बाद उसने अपने सीने को दबाब के साथ मला और काँपते हाथो को बिस्तर पर गड़ाते हुए उठ बैठा ।

जर्जर शरीर को किसी तरह सँभालते हुए उसने बैड के सिरहाने अपनी पीठ लगाई , पास पड़े तौलये को उठा उसने पहले मुंह पोछा और फिर  काले घेरों के बीच निस्तेज आँखों से बहते हुए पानी को साफ किया । थोड़ी देर गहरी गहरी सांस लेने के बाद उसके नशो में कुछ शक्ति का संचार सा हुआ  हाथ बढ़ा टेबल पर रखे पानी के गिलास  को उठाया और एक सांस में ख़त्म कर दिया । पानी से गला तर करने के बाद एक नजर घडी पर डाली तो रात के तीन बज चुके थे ,चारो तरफ सन्नाटा पसरा था ।

"माँ शायद गहरी नींद में होगी तभी नहीं उठी? "उसने सोचा
" करे भी तो क्या बेचारी थक जाती है दिन रात सेवा करते करते मेरी " इतना सोचा के वह कमरे की छत की तरफ देखने लगा ।कुछ देर छत को यूँ ही निहारने के बाद उसने गर्दन नीचे की और सिराहने रखे दवाई की पुड़िया उठाने लगा, किन्तु अचानक उसका हाथ पुड़िया तक पहुँच के ठिठक गया ।
उसने बैड के गद्दे को उठाया ,गद्दे के नीचे एक सिगरेट का पैकेट रखा हुआ था  उसने झट से  सिगरेट का पैकेट उठा लिया ।

पैकेट खोल के देखा तो उसमे एक ही सिगरेट बची हुई थी । कुछ देर आखरी सिगरेट को यूँ ही अलपक देखने के बाद उसे बाहर निकाल  होंठो से लगा लिया , हाथ पैजामे में रखे लाइटर को खोजने लगे  । आगे पीछे की जेबो पर हाथ मारने के बाद आखिर लाइटर को खोज लिया गया , लाइटर  'क्लिक ' की आवाज कर नीली -पीली रौशनी के साथ ज्वलित हो उठा । सिगरेट और लाइटर की थिरकती ज्वाला का मिलन अभी होने वाला ही था कि उसके कानों में आवाज सुनाई दी -

"केशव! फिर सिगरेट? इतनी हालत खराब है फिर भी सिगरेट ....क्या अपनी जान लेकर ही मानेगा तू? डाक्टर ने साफ कह दिया है कि अब एक सिगरेट भी पी तो बचना मुश्किल है तेरा.... क्यों अपनी जान लेने पर तुला है पागल तू? तुझे मां का भी ख्याल नहीं ? चल फेंक दे सिगरेट...."

यह आवाज उसकी मां की थी ,उसने हड़बड़ा के लाइटर बुझा दिया और सिगरेट मुंह से निकाल ली ।किन्तु अगले ही क्षण उसे अहसास हुआ की यह केवल  उसका भ्रम है ,दरवाजा तो बंद है और माँ ऊपर के कमरे में सो रही है ।उसने निश्चित करने के लिए दरवाजे पर नजर डाली , नाइट बल्ब की रौशनी में  भी साफ़ साफ़ बंद दरवाजे को देख सकता था वह।

"हाँ !बन्द है दरवाजा... माँ नहीं है ...यह तो मेरा भ्रम भर है "वह बुदबुदाया और मुस्कुरा दिया ।उसने फिर सिगरेट मुंह से लगाई और लाइटर को रौशन कर दिया। अचानक उसकी नजर लाइटर से निकलने वाली लौ पर गई, लौ मानो किसी नृतकी की तरह थिरक रही हों। उसके हाथ वंही जड़ हो गए , उसके नेत्र उस नृत्य को गहराई ...और गहराई से निहारने लगे ।

" हूँ... इस तरह से क्या देख रहे हो ? सपना ने कोहनी मारते हुए पूछा
"ये चाँद सा रौशन चेहरा .... बालो का रंग सुनहरा... ये झील सी नीली आँखे .…." उसने सपना को छेड़ते हुए फ़िल्मी गाना गाया ।
"ओहो!इतनी भी सुंदर नहीं हूँ मैं " सपना ने इतराते हुए कहा ।
"जानेमन!हमारी नजरो से देखिये .... पूरी कायनात में आप जैसा हसीं कोई नहीं ...न तारे .. न चाँद ... न फूल ...न तितलियां....कोई नहीं ....आप सा हसीन कोई नहीं ..कोई नहीं " उसने दोनों बाहें फैला के ऐक्टिग वाली मुद्रा में कहा ।
"ओहो जी !ऐसा है क्या ....बंद करो अपनी एक्टिंग ,झूठी तारीफ़ तो कोई तुम से सीखे ...उँह"सपना ने मुंह बनाते हुए बनावटी गुस्सा दिखाया ।
"झूठ नहीं सच है .... कितना प्यार है तुम से आओ बताऊँ" इतना कह उसने सपना को खींच अपने सीने से लगा लिया ।
 जैसे ही सपना केशव के सीने से लगी उसने उसके ऊपरी जेब में रखे सिगरेट के पैकेट पर नजर पड़ी ।
"ओहो!तो सिगरेट भी पीते हैं जनाब!"सपना ने केशव की जेब से सिगरेट का पैकेट निकालते हुए पूछा ।
"कभी कभी ... जब तुम्हारी याद आती है न !तब  पी लेता हूँ ...वैसे नहीं " केशव ने थोड़ा झिझकते और मुस्कुराते हुए कहा ।
" अच्छा जी !! झूठ !...बहाना मत बनाओ " सपना ने थोड़ा गुस्से से कहा ।
" ठीक है !अब नहीं पियूँगा ... सच में " केशव ने मुस्कुराते।हुए कहा और सपना से सिगरेट का पैकेट लेके दूर फेंक दिया ।

चेहरे पर खुशी लिए सपना उसके सीने से लग गई।

एक रात.....

करीब रात के एक एक बज रहे होंगे,आज सपना का जन्मदिन था ।केशव ने जन्मदिन बाहर मानाने का प्रोग्राम बनाया था , जन्मदिन सेलिब्रेट कर वापस वे लोग बाइक से घर आ रहे थे की अचानक पीछे से आ रही एक तेज गति कार ने पीछे से  जोरदार टक्कर मार दी ।
टक्कर इतनी जोरदार थी की पीछे बैठी सपना तकरीबन चार फिट ऊपर उछल गई और कार के बोनट से टकरा दूर तक घिसटती चली गई । बाइक डिवाइडर से टकराई ,केशव का सर सड़क से टकराया तो हेलमेट चकनाचूर हो गया ।सर फट गया और एक टांग बाइक के नीचे आने से हड्डियां चकनाचूर हो गईं।

" सपनाsssss.....बेहोश होते केशव ने अपने दर्द की परवाह किये बिना चिल्लाया।
सपना कार के बोनट में फंसी दूर तक घिसटती चली गई ।
केशव बेहोश हो चुका था।

"सपनाssss......" केशव जोर से चिल्लाया ,अचानक उसे जैसे होश आया हो ।उसने देखा की लाइटर अब भी जल रहा है । उसने चेहरे पर हाथ फेरा तो हाथ गीला हो गया , चेहरा पसीना पसीना हो चुका था ।

उसके फिर अतीत में खो गया ,दो दिन बाद जब होश आया तो तो पता चला की सपना मर चुकी है ,केशव जैसे कोमा में चला गया ।बहुत दिन तक इलाज में बाद वह ठीक हुआ पर जिंदगी से एक दम रूखा हुआ ।

सपना की यादें उसे हमेशा तड़पाती, वह एक जिन्दा लाश बन गया था । सपना की यादें भुलाने के लिए उसने सिगरेट पीने शुरू कर दी थी ,एक दिन में 30-40 सिगरेट तक पी जाता । कुछ सालों में उसके  फेफड़े पूरी तरह से ख़राब हो चुके थे ,डाक्टर ने सख्त हिदायत दी थी की यदि अब एक भी सिगरेट पी तो उसका बचना मुश्किल होगा।

केशव ने लाइटर से निकली थिरकती हुई लौ को फिर से देखा ,उस लौ में पुनः सपना का अक्स  उभरता हुआ दिखा ।
उसे सपना बुला रही थी , उसके होठो पर वही मुस्कुराहट थी जिस पर केशव मरता था ।

आज सच में मरने का वक्त था ..... मरने का नही मिलन का वक्त था ।

केशव ने लाइटर की थिरकती लौ और मुंह में दबी सिगरेट की दूरियां मिटा कर एक लंबा काश खिंचा,उसके  चेहरे पर एक लंबी शांतिपूर्ण मुस्कान दौड़ गई।


बस यंही तक थी कहानी .....

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